शिमला समझौते पर पाकिस्तान की दोहरी चाल, रक्षा मंत्री के बयान पर आई सफाई

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने 1972 के ऐतिहासिक शिमला समझौते को ‘मरा हुआ दस्तावेज’ घोषित कर हलचल मचा दी. हालांकि पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने अगले ही दिन इस पर सफाई दी. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत के साथ किसी भी द्विपक्षीय समझौते को समाप्त करने का कोई आधिकारिक निर्णय नहीं लिया गया है. इस दोनों घटना से ये तो साफ कर दिया है कि पाकिस्तानी आपस में ही उलझे हुए हैं.

एक वरिष्ठ पाकिस्तानी विदेश अधिकारी ने न्यूज एजेंसी PTI को बताया कि हाल की घटनाओं के चलते इस्लामाबाद में आंतरिक चर्चा जरूर हो रही है. लेकिन अब तक भारत के साथ किसी भी समझौते को रद्द करने की कोई औपचारिक कार्रवाई नहीं की गई है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि शिमला समझौता अभी भी प्रभावी है.

पहलगाम हमले के बाद गरमाया माहौल

यह बयान ऐसे समय आया है जब 7 मई को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान और POK में आतंकी ठिकानों पर कार्रवाई की थी. इसके बाद पाकिस्तान ने शिमला समझौते की समीक्षा करने की धमकी दी थी. लेकिन तब तक कोई औपचारिक कदम नहीं उठाया गया था.

क्या बोले थे ख्वाजा आसिफ?

मंगलवार को दिए एक इंटरव्यू में रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा, “शिमला समझौता अब एक मरा हुआ दस्तावेज है. हम 1948 की स्थिति में लौट आए हैं जब संयुक्त राष्ट्र ने LOC पर सीजफायर घोषित किया था.” उन्होंने आगे कहा कि “भारत की एकतरफा कार्रवाई, विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना इस समझौते को निष्प्रभावी बना चुका है.”

आसिफ यहीं नहीं रुके. उन्होंने संकेत दिया कि अब भारत-पाक विवादों को द्विपक्षीय नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय या बहुपक्षीय मंचों पर सुलझाया जाना चाहिए.

सरकार ने मंत्री से बनाई दूरी

लेकिन पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की सफाई से साफ है कि सरकार, रक्षा मंत्री के बयान से खुद को अलग कर रही है. यह बयान संभवतः अंतरराष्ट्रीय दबाव और द्विपक्षीय संबंधों में अनावश्यक तनाव से बचने की रणनीति के तहत आया है.

शिमला समझौते का इतिहास

शिमला समझौता 1972 में भारत-पाक युद्ध के बाद हुआ था. इसका मकसद था कि दोनों देश आपसी विवादों को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाएं और किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को दरकिनार रखें. यह समझौता भारत के लिए एक कूटनीतिक जीत मानी जाती है

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